Why Holi festival is celebrated in India : 2024 की होली कब है?
नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हमलोग जानेंगे कि आख़िर Why Holi festival is celebrated in India? जैसा कि हम जानते ही हैं कि होली हिंदूओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बसंत उत्सव या रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार रंगों, एकता और नई ऊर्जा क्व साथ हर्षोल्लाष से मनाया जाता है। भारत भर में, बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए लोग होली के रंगों के साथ एकत्र होते हैं। भारत में लोग फाल्गुन और पूर्णिमा आते ही इस त्योहार को मनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं। हालाँकि, यह भी एक बड़ा प्रश्न है कि 2024 की होली कब है?
होली का इतिहास
इतिहासकारों का मान्यता है कि आर्यों में भी यह पर्व मनाया जाता था, लेकिन अधिकांश पूर्वी भारत में। विभिन्न प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में इस पर्व का वर्णन मिलता है। जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा-गार्ह्य-सूत्र इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं। भविष्य पुराण और नारद पुराण में भी इस पर्व का उल्लेख है। विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर ईसा से 300 वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इस पर्व का उल्लेख है। वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव बहुत से संस्कृत कवियों के प्रिय विषय रहे हैं। महान मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपनी ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव के बारे में बताया है। भारत के कई मुस्लिम लेखकों ने लिखा है कि होली न सिर्फ़ हिन्दू बल्कि मुसलमान भी होलिकोत्सव को बड़े धूम धाम से मनाते थे। मुग़ल काल की उत्सुकता जगाने वाली होली की तस्वीर सबसे प्रामाणिक है। जहाँगीर का नूरजहाँ और अकबर का जोधाबाई होली खेलते नज़र आते हैं। अलवर संग्रहालय में जहाँगीर को होली खेलते हुए चित्रित किया गया है। शाहजहाँ के समय तक होली खेलने का पुराना तरीका ही बदल गया था। शाहजहाँ के समय में होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी (रंगों की बौछार) कहा जाता था। मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र को होली पर उनके मंत्री ने रंग लगाया था। कृष्ण की लीलाओं का भी मध्यकालीन हिन्दी साहित्य में व्यापक वर्णन है।
होली से जुड़ी प्रमुख कहानी
राक्षस हिरण्यकश्यप, प्राचीन भारत के एक राजा थे। वह अपने छोटे भाई की हत्या का बदला लेना चाहते थे, जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। इसलिए उन्होंने वर्षों तक ईश्वर से शक्ति की प्रार्थना की। अंततः, उन्होंने वरदान पाया। लेकिन इससे हिरण्यकश्यप ने लोगों से अपनी पूजा करने को कहा और ख़ुद को भगवान के समान मानने लगा। राजा हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था , वह बचपन से ही बहुत बड़ा विष्णुभक्त था। प्रहलाद ने हमेशा भगवान विष्णु की पूजा की, कभी अपने पिता की बात नहीं मानी। राजा ने उसे लज्जित करने का फ़ैसला किया। राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के साथ आग में बैठने का आदेश दिया। होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जल सकती है, उन्होंने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाएं। उनका इरादा था प्रहलाद को जलाना, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि प्रहलाद ने अपने होठों पर सदा भगवान विष्णु का नाम जाप करता रहा और उस अग्नि से बच गया, लेकिन होलिका जलकर मर गई। होलिका की हार बुराई का अंत है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को मार डाला, जिससे होली, होलिका की हत्या का त्योहार है। यही कारण है कि कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई को दूर करने के लिए होली जलाई जाती है। जिसका तात्पर्य है कि हम बुराई का नाश कर रहें हैं।
होली का महत्त्व
होली का त्योहार, जो हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने में मनाया जाता है, सर्दियों के अंत का प्रतीक है। फाल्गुन पूर्णिमा की शाम को यह उत्सव शुरू होता है और दो दिन तक मनाया जाता है। होली रंगों और हंसी - ख़ुशी का उत्सव है। यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो अब पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग भगवान विष्णु की सेवा करने वाले प्रहलाद की विजय का जश्न मनाते हैं और एक अग्नि जलाते हैं। इस दिन भी लोग होलिका की पूजा करते हैं क्योंकि हिंदू पौराणिक कथाओं में यह कहा गया है कि होलिका पूजा धन और सुख लाती है। लोगों का मानना है कि होलिका की पूजा सभी भय को दूर कर सकती है। होलिका दहन के अगले दिन को धुलेंडी कहा जाता है, जिसमें अबीर-गुलाल इत्यादि डाला जाता है और दूसरों से सौहार्द्र व्यक्त किया जाता है।
होली का सांस्कृतिक महत्त्व
होली से जुड़ी कई कहानियां लोगों को सच्चाई की शक्ति का विश्वास दिलाती हैं क्योंकि ये कहानियां बुराई पर अच्छाई की जीत बताती हैं। हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी भी बताती है कि भगवान हमेशा अपने सच्चे भक्तों को अपनी शरण में लेता है। वे सभी लोगों को सच्चे होने और अच्छे व्यवहार का पालन करने में मदद करते हैं। होली लोगों को सच्चे और ईमानदार होने और बुराई से लड़ने में मदद करती है। साथ ही, होली साल के ऐसे समय में मनाई जाती है जब खेत पूरी तरह खिल जाते हैं और लोग अच्छी फ़सल की उम्मीद करते हैं। यह पर्व लोगों को होली पर ख़ुश होने के लिए एक अच्छा बहाना देता है।
2024 की होली कब है?
होली भारत का एक रंगीन और जीवंत त्योहार है, जो गर्मियों के आगमन और सर्दियों की ठंड समाप्त होने के साथ आता है। यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह उत्सव इस बार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। इससे पहले रविवार 24 मार्च 2024 को छोटी होली या होलिका दहन होगा। होली एक ऐसा उत्सव है जिसमें लोग एक दूसरे से भावनात्मक और सामाजिक संबंध बनाते हैं।
Other names of holi festival in india :
- होली : यह हिंदी में होली का प्रमुख नाम है।
- फागुन (फाल्गुन ) महोत्सव : इसे हिंदू पंचांग के महीने "फागुन" के आधार पर भी जाना जाता है।
- रंगपंचमी : होली के पांचवें दिन को रंगपंचमी के रूप में भी जाना जाता है।
- वसंतोत्सव : होली को बसंत ऋतु का आगाज़ मानते हुए वसंतोत्सव के रूप में भी जाना जाता है।
- धुलंदी : इसे पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में धुलंदी के रूप में भी जाना जाता है।
- फाग : इसे उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में "फाग" के नाम से भी जाना जाता है।
- दोल पूर्णिमा : होली को दोल पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है 'डोलियों की पूर्णिमा'।
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2. पुआ (मालपुआ) - होली पुआ (मालपुआ) के बगैर अधूरी है। इसके साथ-साथ, ख़ासकर प्रियजनों के साथ मिलकर उसका स्वाद उठाना और खुशियों का आनंद बाँटना भी होली का सच्चा आनंद है। बिना होली पुआ के, यह उत्सव अधूरा सा लगता है, जैसे कि एक कहावत कहती है, "होली का असली मज़ा होली पुआ के साथ ही आता है।"
3 . गुजिया - होली के अवसर पर विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं। होली के दिन अपने घर में गुजिया ज़रूर बनाएं। अगर समय की कमी है तो बाज़ार से गुजिया खरीदें। इससे आपके घर में उत्सव की ख़ास रौनक आएगी और होली का माहौल बना रहेगा।
4. नमकपारे - होली में नमकपारे का ख़ास महत्व होता है। नमकपारे होली के ख़ास पकवानों में से एक हैं जो उत्सव के महौल को और भी मिठास और रंगीन बनाते हैं। ये ताज़गी से भरपूर और आसानी से बनाये जा सकने वाले पकवान हैं, जो हर किसी को बेहद पसंद आते हैं। नमकपारे बनाने की प्रक्रिया भी परिवार के सदस्यों के बीच बोंडिंग का माहौल पैदा करती है।
5 . मट्ठी - होली में मट्ठी का ख़ास महत्व होता है। मट्ठी या रबड़ी एक प्रकार की ठंडा योग्यता वाली मिलावटी दही होती है जिसे खाने के साथ-साथ गुलाल और अन्य रंगों के साथ लगाया जाता है। मट्ठी का ख़ास महत्व है क्योंकि यह होली का रस्मी खाना है, जो लोगों के बीच एकता और प्यार का संदेश लाता है। यह गुलाल और रंगों के साथ मिलाकर होली का उत्सव और भी रंगीन बना देता है। साथ ही, मट्ठी का सेवन होली के दिन उत्सव के आनंद को और भी विशेष बनाता है।
Happy holi wishes hindi :
1. होली की खुशियों के रंग में खो जाओ,
रंग बरसे, धूप हो सबके लिए रोज़गार,
यही है होली की ख़ासियत, यही है प्यार।
हैप्पी होली ओ मेरे यार !
2. ख़ुशियों का रंग भरे इस मौसम में,
होली के इस पावन दिन में,
आपको मिले ख़ुशियों का बौछार,
होली मुबारक़ हो मेरे यार !
3. रंगों की इस बहार में खो जाओ,
दिल से सबको ख़ुशियाँ बांटो,
गुलाल की बौछार में रंग बदलो,
हर कोने से आपको होली की शुभकामनाएं!
4. रंगों की इस धूम में रंग जाओ,
दिल से सबको खुशियाँ बांटो,
खुशियों के इस मौसम में खो जाओ,
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
5. होली के इस पावन दिन में आपको,
दिल से खुशियों की बहार मिले,
और आपके जीवन में हमेशा हो खुशहाली,
होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
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